त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥
ब्रह्म – कुल – वल्लभं, सुलभ मति दुर्लभं, विकट – वेषं, विभुं, वेदपारं ।
भाल चन्द्रमा सोहत नीके । कानन कुण्डल नागफनी के॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥
त्रिपुरासुरेण सह युद्धं प्रारब्धम् ।
राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा।।
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई । निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥
बुधवार – आप दीर्घायु website तथा सदैव निरोगी रहते हैं.
बुरी आत्माओं से मुक्ति के लिए, शनि के प्रकोप से बचने हेतु हनुमान चालीसा का पाठ करें
अर्थ: माता मैनावंती की दुलारी अर्थात माता पार्वती जी आपके बांये अंग में हैं, उनकी छवि भी अलग से मन को हर्षित करती है, तात्पर्य है कि आपकी पत्नी के रुप में माता पार्वती भी पूजनीय हैं। आपके हाथों में त्रिशूल आपकी छवि को और भी आकर्षक बनाता है। आपने हमेशा शत्रुओं का नाश किया है।
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥